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भगवान् और उनकी भक्ति: God and His Bhakti

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Item Code: GPA302
Author: Swami Ramsukhdas
Publisher: Gita Press, Gorakhpur
Language: Sanskrit Text With Hindi Translation
Edition: 2013
Pages: 112
Cover: Paperback
Other Details 8.0 inch X 5.5 inch
Weight 100 gm
Book Description

नम्र निवेदन

भगवतगीता एक ऐसा विलक्षण कथ है, जिसका आजतक तो कोई पार पा सका, पार पाता है, पार पा सकेगा और पार पा ही सकता है। गहरे उतरकर इसका अध्ययन-मनन करनेपर नित्य नये-नये विलक्षण भाव प्रकट होते रहते हैं। हमारे परमश्रद्धेय श्रीस्वामीजी महाराजको भी इस अगाध गीतार्णवमें गोता लगानेपर अनेक अमूल्य रत्न मिले हैं और अब भी मिलते जा रहे हैं। पिछले वर्ष मथानिया (जोधपुर)-में चातुर्मासके समय भी आपको गीतामेंसे भगवान्के सगुण-स्वरूप तथा भक्ति-सम्बन्धी अनेक विलक्षण भाव मिले। उन्हीं भावोंको लेकर प्रस्तुत पुस्तककी रचना की गयी है। आशा है, विचारशील तथा भगवत्प्रेमी साधकोंको यह पुस्तक एक नयी दृष्टि प्रदान करेगी और सुगमतापूर्वक भगवत्प्राप्तिका मार्ग दिखायेगी। पाठकोंसे नम्र निवेदन है कि वे इस पुस्तकको मनोयोगपूर्वक पढ़ें, समझें और लाभ उठायें।

 

 

विषय-सूची

 

1

भक्ति, भक्त तथा भगवान्

5

2

भक्ति और उसकी महिमा

15

3

भगवान्का सगुण स्वरूप और भक्ति

24

4

प्रेम, प्रेमी तथा प्रेमास्पद

53

5

सर्व श्रेष्ठ साधन

63

6

सब कुछ भगवान् ही हैं

76

7

विल क्षण भगवत्कृपा

88

8

वास्तविक सिद्धिका मार्ग

97

9

प्रार्थना और शरणागति

106

 

 

 

 

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