निवेदन
भारतीय आर्य संस्कृतिमें स्त्रियोंका स्थान बड़े ही महत्त्वका है। आर्यशास्त्रोंने स्त्रियोंको जितना ऊँचा स्थान दिया है उनकी मर्यादाका जितना विचार किया है साथ ही उनके जीवनको संयम तथा सेवासे अनुप्राणित कर जितना पवित्रतम बनानेकी चेष्टा की है, आदर्श माता, आदर्श भगिनी, आदर्श पत्नी, आदर्श सती, आदर्श त्यागमयी, आदर्श संयममयी, आदर्श सेवामयी, आदर्श बलिदानमयी, आदर्श वीरांगना, आदर्श लोकहितैषिणी, आदर्श राजनीतिनिपुणा, आदर्श कार्यकुशला, आदर्श गृहिणी और आदर्श पतिव्रता निर्माण करनेकी जितनी शिक्षा दी है वह परम आदर्श है और जगत्के इतिहासमें सर्वथा विलक्षण और अनुकरणीय है । हमारी आर्य सस्कृतिमें किस प्रकारकी आदर्श महिलाएँ हुई हैं स्त्रियों क्या कर्तव्य है उनका आचार व्यवहार किस प्रकारका होना चाहिये, इन सब बातोंपर संक्षेपसे इस 'स्त्रियोंके लिये कर्तव्यशिक्षा' नामक पुस्तकमें विचार किया गया है और बड़ी सुन्दरताके साथ उनके कर्तव्यका प्रतिपादन किया गया है।' इसमें आये हुए पतिव्रता शुभा, पतिव्रता सुकला, द्रौपदी सत्यभाषा संवाद, पतिव्रता शाण्डिली, पतिव्रता सावित्री, पतिव्रता दमयन्ती, सती लोपामुद्रा और माता कुन्ती आदिके इतिहास आर्य स्त्रीके पवित्रतम चरित्र, उसके त्याग बलिदान, उसके उच्चातिउच्च जीवनका बड़े मधुर, साथ ही गगनभेदी गम्भीर स्वरमें गौरव गान कर रहे हैं । आज भारतकी स्त्री जहाँ एक ओर अज्ञानसे मूर्च्छिता है वहाँ दूसरी ओर भोगमयी सभ्यता और शिक्षाकी नाशकारी मदिरासे उन्मत्ता है। दोनों ही दशाएँ घोर तमका आवरण विस्तार कर उसके पवित्रतम आदर्शको नष्ट कर रही हैं। इस अवस्थामें उसे सात्त्विक प्रकाश प्राप्त हो और वह मूर्च्छासे जागकर तथा मदिराके मदसे छूटकर अपने पवित्र स्वरूपको सँभाले, इसकी बड़ी आवश्यकता है। यह पुस्तक अपने मधुर प्रकाशसे इस तमका बहुत अंशोंमें विनाश करनेमें समर्थ होगी, ऐशी आशा है । मैं अपनी सभी भारतीय बहिनोंसे निवेदन करता हूँ कि वे इस पुस्तकको पढ़कर ध्यानसे मनन करें और इससे लाभ उठावें। सभी पवित्र तथा सुखी जीवन और सुखी गृहस्थी चाहनेवाले भाइयोंसे भी निवेदन है कि वे इस पुस्तकको स्वयं पढ़ें और घरमें माता, बहिन, पुत्री तथा पुत्रवधुओंको भी पढावें।
विषय-सूची
1
व्यवहार
7
2
पतिव्रता शुभा
12
3
पतिव्रता सुकला
16
4
स्त्रियोंके लिये स्वतन्त्रताका निषेध
28
5
विवाह
32
6
अनुचित हँसी मजाक और गंदे गीतका त्याग आवश्यक
33
अनावश्यक भोजनका त्याग आवश्यक
35
8
लज्जाशीलता और पर पुरूषका त्याग
36
9
सदाचरण
39
10
कन्याओंको उत्तम शिक्षा
40
11
आलस्य प्रमादका त्याग आवश्यक
41
विद्याकी उपादेयता
42
13
सद्गुणोंकी शिक्षा
46
14
द्विज बालकोंका यज्ञोपवीत संस्कार आवश्यक
49
15
विपत्तिमें भी धर्मका त्याग न करे
51
पातिव्रत्य धर्म
53
17
द्रौपदी सत्यभामा संवाद
63
18
पतिव्रता शाण्डिली
72
19
भगवान् श्रीकृष्णका उपदेश
77
20
यमराजका उपदेश
81
21
पतिव्रता सतीकी महिमा
83
22
पतिव्रता सावित्री
84
23
सती दमयन्तीकी कथा
98
24
श्रीलक्ष्मीजीका उपदेश
114
25
जरत्कारु मुनिका उपदेश
116
26
सती लोपामुद्राकी कथा
118
27
विधवाओंके साथ व्यवहार और उनका धर्म
131
कुन्तीदेवीकी कथा
135
29
कुन्तीका वीरमातृत्व
137
30
कुन्तीका परोपकार
142
31
कुन्तीकी सत्यप्रियता
147
कुन्तीकी भक्ति
149
कुन्तीका त्याग
150
34
विधवा बहिनोंके कर्तव्य
153
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