प्रसाद के सम्पूर्ण नाटक एवं एकांकी: (The Complete Plays of Jai Shanker Prasad)

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Item Code: HAA140
Author: डा. सत्यप्रकाश मिश्र: (Dr. Satyaprakash Mishra)
Publisher: Lokbharti Prakashan
Language: Hindi
Edition: 2013
ISBN: 9788180313455
Pages: 820
Cover: Paperback
Other Details 8.5 inch X 5.5 inch
Weight 830 gm
Book Description

लेखक परिचय

 

हिन्दी नाटक साहित्य में प्रसाद जी का एक विशिष्ट स्थान है । इतिहास, पुराण कथा और अर्द्धमिथकीय वस्तु के भीतर से प्रसाद ने राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल को पहली बार अपने नाटकों के माध्यम से उठाया । दरअसल उनके नाटक अतीत कथा चित्रों के द्वारा तत्कालीन राष्ट्रीय संकट को पहचानने और सुलझाने का मार्ग प्रशस्त करते हैं । 'चन्द्रगुप्त' 'स्कन्दगुप्त' और 'ध्रुवस्वामिनी' का सत्ता संघर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रश्न से जुड़ा हुआ है ।

प्रसाद ने अपने नाटकों की रचना द्वारा भारतेन्दुकालीन रंगमंच से बेहतर और संश्लिष्ट रंगमंच की माँग उठायी । उन्होंने नाटकों की अन्तर्वस्तु के महत्व को रेखांकित करते हुए रंगमंच को लिखित नाटक का अनुवर्ती बनाया । इस तरह नाटक के पाठ्य होने के महत्त्व को उन्होंने नजरअन्दाज नहीं किया । नाट्य रचना और रंगमंच के परस्पर सम्बन्ध के बारे में उनका यह निजी दृष्टिकोण काफी महत्वपूर्ण और मौलिक है ।

प्रसाद जी के नाटक निश्चय ही एक नयी नाट्य भाषा के आलोक के चमचमाते हुए दिखते हैं । अभिनय, हरकत और एक गहरी काव्यमयता से परिपूर्ण रोमांसल भाषा प्रसाद की नाट्य भाषा की विशेषताएँ हैं । इसी नाट्य भाषा के माध्यम से प्रसाद अपने नाटकों में राष्ट्रीय चिन्ता के संग प्रेम के कोमल संस्पर्श का कारुणिक संस्कार देते है ।

 







अनुक्रम

प्राक्कथन

 

उर्वशी चम्पू

1 से 36

सज्जन

37 से 52

प्रायश्चित

53 से 64

कल्याणो परिणय

65 से 84

करुणालय

85 105

राज्यश्री

107 से 146

विशाख

147 से 196

अजातशत्रु

197 283

जन्मेजय का नाग यज्ञ

287 से 362

कामना

393 से 431

स्कन्दगुप्त विक्रमादित्य

433 से 558

एक त्रूंट

559 से 583

चन्द्रगुप्त

585 739

ध्रुवस्वामिनो

741 से 782

अग्निमित्र

783 से 792

 

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